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भारत में भूमि अधिग्रहण का वर्तमान कानून **The Right to Fair Compensation and Transparency in Land Acquisition, Rehabilitation and Resettlement Act, 2013 (LARR Act, 2013)** है। इस कानून के तहत, अगर किसान अपनी जमीन देने से मना करते हैं, तो निम्नलिखित प्रक्रिया और परिणाम हो सकते हैं:

1. **सहमति की आवश्यकता**:
   - निजी परियोजनाओं के लिए, 80% प्रभावित परिवारों की सहमति आवश्यक है।
   - सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) परियोजनाओं के लिए, 70% सहमति जरूरी है।
   - अगर सहमति नहीं मिलती, तो सरकार सामान्य रूप से अधिग्रहण प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ा सकती, क्योंकि यह कानून पारदर्शिता और सहमति पर जोर देता है।

2. **सार्वजनिक उद्देश्य**:
   - अगर जमीन सार्वजनिक उद्देश्य (जैसे सड़क, रेल, या अन्य बुनियादी ढांचा) के लिए ली जा रही है, तो सरकार कुछ मामलों में अधिग्रहण को लागू कर सकती है, लेकिन इसके लिए कड़े नियमों का पालन करना पड़ता है, जैसे:
     - उचित मुआवजा देना (बाजार मूल्य का 2-4 गुना, ग्रामीण/शहरी क्षेत्र के आधार पर)।
     - सामाजिक प्रभाव मूल्यांकन (Social Impact Assessment - SIA) करना।
     - पुनर्वास और पुनर्स्थापन सुनिश्चित करना।

3. **किसान के मना करने पर क्या होता है**:
   - अगर किसान मना करते हैं और सहमति नहीं मिलती, तो सरकार को वैकल्पिक जमीन तलाशनी पड़ सकती है।
   - कानूनन, जबरन अधिग्रहण सीमित परिस्थितियों में ही संभव है, और इसके लिए पूरी प्रक्रिया (जैसे SIA, सुनवाई, मुआवजा निर्धारण) का पालन करना अनिवार्य है।
   - अगर किसान सहमत नहीं होते, तो वे कानूनी रास्ता अपना सकते हैं, जैसे अदालत में याचिका दायर करना, जिससे प्रक्रिया में देरी हो सकती है।

4. **कानूनी सुरक्षा**:
   - LARR Act, 2013 किसानों और प्रभावित लोगों के अधिकारों की रक्षा करता है। अगर सरकार नियमों का उल्लंघन करती है, तो प्रभावित पक्ष उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दे सकते हैं।
   - मुआवजे और पुनर्वास पर असहमति के मामले में, विशेष भूमि अधिग्रहण मुआवजा विवाद निपटान प्राधिकरण में अपील की जा सकती है।

5. **विशेष परिस्थितियां**:
   - राष्ट्रीय सुरक्षा या आपातकालीन स्थिति में, सरकार कुछ छूट के साथ अधिग्रहण कर सकती है, लेकिन यह दुर्लभ है और इसके लिए भी मुआवजा देना पड़ता है।

**निष्कर्ष**: अगर किसान जमीन देने से मना करते हैं, तो LARR Act, 2013 के तहत सरकार को उनकी सहमति लेने की कोशिश करनी होगी। बिना सहमति के जबरन अधिग्रहण मुश्किल है, खासकर निजी या PPP परियोजनाओं में। किसानों को उचित मुआवजा, पुनर्वास, और कानूनी सहायता का अधिकार है। अगर आपको विशिष्ट स्थिति के बारे में सलाह चाहिए, तो स्थानीय वकील से संपर्क करना या कानूनी सहायता लेना उचित होगा।[](https://en.wikipedia.org/wiki/Land_Acquisition_Act_1894)

_अस्वीकरण: Grok वकील नहीं है; कृपया एक से परामर्श करें। ऐसी जानकारी साझा न करें जो आपकी पहचान कर सके।_

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