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सम्राट अशोक द्वारा बनवाए गए 84,000 स्तूपों की बात बौद्ध परंपरा और इतिहास में प्रतीकात्मक रूप से की जाती है। यह संख्या "84,000" बौद्ध धर्म में अक्सर पूर्णता या विशालता को दर्शाने के लिए प्रयोग होती है, जो बुद्ध की 84,000 शिक्षाओं (धर्मस्कंध) का प्रतीक मानी जाती है। इसका मतलब यह नहीं कि ठीक 84,000 स्तूप बनाए गए थे, बल्कि यह एक अतिशयोक्ति हो सकती है जो अशोक के बौद्ध धर्म प्रसार के विशाल प्रयास को दिखाती है। फिर भी, इतिहासकारों और पुरातत्वविदों ने कुछ प्रमुख स्थानों की पहचान की है जहाँ अशोक के समय के स्तूप बने थे या उनके अवशेष मिले हैं। आइए इसे विस्तार से देखें:ऐतिहासिक पृष्ठभूमिअशोक ने बुद्ध की मृत्यु के बाद उनके अवशेषों को मूल 8 स्तूपों से निकालकर पूरे भारत और बाहर फैलाया। बौद्ध ग्रंथ "अशोकावदान" और महावंश के अनुसार, उन्होंने इन अवशेषों को 84,000 स्तूपों में रखवाया।समय, प्राकृतिक आपदाओं, आक्रमणों (जैसे हूण और तुर्क), और बौद्ध धर्म के पतन के कारण इनमें से अधिकांश नष्ट हो गए। आज कुछ ही स्थानों पर इनके प्रमाण बचे हैं।प्रमुख स्थान जहाँ अशोक के स्तूप थे या हैंसांची (मध्य प्रदेश, भारत)यहाँ का महास्तूप सबसे प्रसिद्ध और संरक्षित अशोककालीन स्तूप है। इसे 3वीं शताब्दी ईसा पूर्व में अशोक ने बनवाया था। यह यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है।मूल रूप से ईंटों से बना था, बाद में शुंग काल में पत्थर से ढका गया।सारनाथ (उत्तर प्रदेश, भारत)धमेख स्तूप यहाँ स्थित है, जो अशोक के समय का माना जाता है। यह वह स्थान है जहाँ बुद्ध ने पहला उपदेश दिया था।यह भी अशोक द्वारा बनवाए गए स्तूपों में से एक माना जाता है।बोधगया (बिहार, भारत)यहाँ महाबोधि मंदिर के पास अशोक ने एक स्तूप बनवाया था, हालाँकि आज का मुख्य ढांचा बाद के काल का है। यह बुद्ध के ज्ञान प्राप्ति का स्थान है।लुंबिनी (नेपाल)बुद्ध के जन्मस्थान पर अशोक ने एक स्तूप और एक pillar बनवाया था। यहाँ के अवशेष आज भी मौजूद हैं।कुशीनगर (उत्तर प्रदेश, भारत)बुद्ध के परिनिर्वाण स्थल पर रामाभार स्तूप अशोक के समय का माना जाता है। यहाँ उनकी अस्थियाँ रखी गई थीं।वैशाली (बिहार, भारत)यहाँ का अशोक स्तंभ और एक छोटा स्तूप अशोक के समय से जुड़ा है। यह बुद्ध के जीवन से संबंधित महत्वपूर्ण स्थान था।राजगृह (बिहार, भारत)यहाँ भी अशोक ने स्तूप बनवाए थे, हालाँकि अधिकांश अवशेष अब नष्ट हो चुके हैं।पिपरहवा (उत्तर प्रदेश, भारत)यहाँ एक स्तूप से बुद्ध के अवशेष मिले थे, जो अशोक के समय का माना जाता है। यह कपिलवस्तु के पास है।केसरीया (बिहार, भारत)यह भारत का सबसे बड़ा स्तूप है और माना जाता है कि इसे अशोक ने बनवाया था। यह बुद्ध के जीवन से जुड़ा है।अमरावती (आंध्र प्रदेश, भारत)यहाँ का महास्तूप अशोक के समय का है, हालाँकि अब यह खंडहर में है। यह दक्षिण भारत में बौद्ध धर्म का केंद्र था।नागार्जुनकोंडा (आंध्र प्रदेश, भारत)यहाँ अशोक के समय के स्तूपों के अवशेष मिले हैं, जो बाद में इक्ष्वाकु काल में और विकसित हुए।नांगचेन (चीन)अशोक के 19 स्तूप चीन में बनाए गए थे, जिनमें से नांगचेन का स्तूप प्रसिद्ध है। इसे 2015 में पुनर्जनन किया गया।श्रीलंकाअशोक के पुत्र महेंद्र ने बौद्ध धर्म यहाँ पहुँचाया। अनुराधापुर में रुवनवेलिसाया जैसे स्तूप अशोक के प्रभाव से जुड़े हैं।अन्य संभावित स्थानपाकिस्तान: स्वात घाटी (शिंगरदार) और तक्षशिला (धर्मराजिका स्तूप) में अशोक के समय के स्तूपों के अवशेष हैं।अफगानिस्तान: बामियान और हड्डा में भी अशोक के प्रभाव वाले बौद्ध स्थल मिले हैं।अशोक ने अपने साम्राज्य के बाहर भी मिशनरियों के साथ स्तूप निर्माण को प्रोत्साहित किया, जैसे दक्षिण-पूर्व एशिया और मध्य एशिया में।वर्तमान स्थितिअधिकांश 84,000 स्तूपों के सटीक स्थान अज्ञात हैं। पुरातत्वविदों का मानना है कि इनमें से कई छोटे-छोटे गाँवों या जंगलों में बनाए गए थे, जो समय के साथ नष्ट हो गए।कुछ स्थानों पर (जैसे आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में) बौद्ध स्तूपों को बाद में हिंदू मंदिरों में बदल दिया गया।आज सanchi, सारनाथ, बोधगया, और कुछ अन्य स्थानों पर ही स्पष्ट प्रमाण बचे हैं।निष्कर्ष84,000 स्तूपों की संख्या एक प्रतीकात्मक आँकड़ा है। वास्तव में, अशोक ने सैकड़ों या शायद हजारों स्तूप बनवाए होंगे, लेकिन उनके सटीक स्थान बताना मुश्किल है। ऊपर दिए गए स्थान वे हैं जो इतिहास और पुरातत्व से प्रमाणित हैं। अगर आप किसी खास क्षेत्र के बारे में और जानना चाहते हैं, तो बताएँ!

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