dhamm lipi ko brahmi lipi kyun kaha gya
बौद्ध/धम्म लिपि को "ब्राह्मी लिपि" नाम देने के पीछे ऐतिहासिक, भाषाई और विद्वानों के अध्ययन से जुड़े कई कारण हैं। यह नामकरण पूरी तरह से आधुनिक काल में हुआ, विशेष रूप से 19वीं सदी में, जब यूरोपीय और भारतीय विद्वानों ने प्राचीन भारतीय लिपियों का अध्ययन शुरू किया। आइए इसे समझते हैं: 1. **ऐतिहासिक संदर्भ और अशोक के शिलालेख**: सम्राट अशोक (ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी) के शिलालेखों में जिस लिपि का प्रयोग हुआ, उसे उन्होंने "धम्म लिपि" कहा। ये शिलालेख बौद्ध धर्म के प्रचार और नैतिक सिद्धांतों (धम्म) को जनता तक पहुँचाने के लिए बनवाए गए थे। चूंकि यह लिपि बौद्ध धर्म से गहराई से जुड़ी थी, इसलिए इसे "धम्म लिपि" के रूप में संदर्भित किया गया। हालांकि, उस समय इसे औपचारिक रूप से कोई विशिष्ट नाम नहीं दिया गया था जो सभी संदर्भों में मान्य हो। 2. **"ब्राह्मी" नाम का उद्गम**: "ब्राह्मी" नाम 19वीं सदी में विद्वानों द्वारा दिया गया, जब जेम्स प्रिंसेप और अन्य पुरातत्वविदों ने अशोक के शिलालेखों को पढ़ा। इस लिपि को "ब्राह्मी" इसलिए कहा गया क्योंकि ...